Janaki Stutih (Hymn to Sita Devi) Prayer Details

stotra-sloka
sita
Devotional, Praise, Seeking Blessings, Protection, Marital Harmony
hinduism

आरति आदि-शक्ति की कीजे, सुमिरन कीजे श्री सीता जी का। प्रभु राम संग रहती हैं सदा, जगत जननी श्री सीता जी का। पद्मासना पर विराजित, हाथ में है कमल का फूल। चारों भुजाएं हैं शोभित, शोभा जिनकी अनुपम, अतुल। रत्नजटित सिंहासन पर, बिराजमान हैं श्री सीता जी। कल्याणमयी हैं, वरदायिनी, दुख हरणी हैं श्री सीता जी। रामचन्द्र की प्रिय भार्या, जानकी हैं जग की माता। भक्तों को देती हैं वरदान, करती हैं सब की परित्राता। शुक्ल वस्त्र हैं परिधान जिनके, करती हैं शुभ कार्य। त्रिभुवन में जिनकी है महिमा, ऐसी हैं श्री सीता जी आर्य। जो कोई ध्यावे मन क्रम वचन से, पावे मोक्ष को अपार। जनम जनम के पाप कटते, भव सागर से होवे पार। श्री सीता राम चरित गावे, पावे परम पद दातार। सब सुख संपति घर आवे, होवे सब दुखों का संहार।